मंगलवार, मार्च 16, 2010

दो दशक से नए उद्योगों को एनओसी नहीं

अवैध इकाइयां फैला रही हैं प्रदूषण
जोधपुर, 15 मार्च। राज्य सरकार की नीतियां अब टेक्सटाइल के विकास के मार्ग में रोडा बनने लगी हैं। एक तरफ जहां वर्ष 1988 के बाद राज्य सरकार ने टेक्सटाइल उद्योगों की स्थापना पर रोक लगा कर नए उद्योगों के विकसित होने का मार्ग बंद कर दिया है। वहीं जमीन के अभाव में टेक्सटाइल पार्क की योजना भी हाथ से निकल गई है।
राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश के आधार पर 1988 में सीईटीपी प्लांट की स्थापना नहीं होने तक नए टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना पर रोक लगा दी थी, लेकिन जोधपुर व पाली में सीईटीपी प्लांट की स्थापना के बाद भी वहां नई टेक्सटाइल यूनिट लगने का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सका। इस बीच, वस्त्र मंत्रालय ने देश के विभिन्न शहरों में 25 टेक्सटाइल पार्क खोलने की योजना बनाई। पूर्ववर्ती केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए जोधपुर का भी उल्लेख किया था, लेकिन पूर्ववर्ती राज्य सरकार के कार्यकाल में जमीन का फैसला नहीं हो पाने से यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई।
टेक्सटाइल उद्योग का मौजूदा परिदृश्य
वर्तमान में संभाग से लगभग १५ लाख मीटर कपड़ा रोजाना तैयार किया जा रहा है। जोधपुर से तैयार होने वाला लगभग 5 लाख मीटर कपड़ों के मुंबई में गारमेंट तैयार कर एक्सपोर्ट किए जाते है। यहां पॉवर लूम व टेक्सटाइल जोन नहीं होने के कारण यहां से सीधा एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है।
चुनौतियों से जूझ रहा उद्योग
- उद्योगों को एनओसी नहीं: वर्ष 1988 के बाद यहां के उद्योगों को राज्य सरकार एनओसी नहीं दे रही है। इससे वे कई महत्वपूर्ण योजनाओं का लाफ नहीं उठा पा रहे हैं। राज्य सरकार ने नए उद्योग पर रोक लगाई थी, उद्यमियों का कहना है कि इससे पहले जो उद्योग लग चुके थे तथा वे वर्तमान में प्रदूषण निवारण ट्रस्ट के सीईटीपी प्लांट से जुड़े हुए होने के बावजूद भी उन्हें एनओसी नहीं दी जा रही है।
- टफ योजना का लाभ: यदि राज्य सरकार इन उद्यमियों को एनओसी जारी कर देती है तो वे केंद्र सरकार की टफ योजना का लाभ आसानी से उठा पाएंंगे। इस योजना के तहत उद्यमियों को दिए जाने वाले ऋण की ब्याज दर में 5 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। यह योजना टेक्सटाइल इकाइ के आधुनिकीकरण के लिए चलाई गई है, लेकिन एनओसी नहीं मिलने के कारण यहां का एक भी उद्योग इसका लाभ नहीं उठा सका।
- नए औद्योगिक क्षेत्र की परेशानी
रीको ने वर्ष 2002 से 2004 के बीच दो बार पाली रोड पर नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया। इसके बाद वर्ष 2006 में तत्कालीन उद्योग मंत्री नरपतसिंह राजवी की ने बोरानाडा में नए औद्योगिक क्षेत्र की घोषणा की। इसके लिए भूमि अवाप्ति अधिनियम की धारा 4 व 6 की कार्रवाई भी हो गई, मगर मामला आगे नहीं बढ़ पाया। टेक्सटाइल उद्यमियों ने समय समय पर राज्य सरकार को इस उद्योग के विकास के लिए अलग से भूमि की मांग की। लेकिन राज्य सरकार ने अब तक उन्हें टेक्सटाइल पार्क के लिए भूमि उपलब्ध नहीं करवाई है।
प्रदूषण का मर्ज बढऩे लगा
राज्य सरकार भले ही नई एनओसी पर रोक लगाए बैठे, हालत यह है कि अवैध टेक्सटाइल इकाइयां तेजी से बढ़ रही हैं। इन अवैध इकाइयों से निकले केमिकल युक्त पानी से प्रदूषण का मर्ज फैल रहा है। चूंकि नियमानुसार ये इकाइयां एनओसी प्राप्त नहीं है, लिहाजा इनके लिए नया सीईटीपी प्लांट भी नहीं बनाया जा सकता।

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