सोमवार, मार्च 22, 2010

मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र सर्वाधिक प्रदूषित


-आवासीय क्षेत्रों में महामंदिर के हालात सबसे खराब, निर्धारित सीमा से तीन गुणा ज्यादा प्रदूषण, सोजती गेट पर भी दमघोंटू धूल और धुआं
जोधपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह क्षेत्र महामंदिर वायु प्रदूषण के लिहाज से सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यहां हवा में धूल और धुएं का स्तर मानक सीमा से तीन से चार गुणा तक है। वहीं, शहर के कॉमर्शियल क्षेत्रों में वाहनजनित वायु प्रदूषण का सर्वाधिक स्तर सोजती गेट पर देखा गया है। इन इलाकों में मानक से तीन गुणा ज्यादा प्रदूषण ने हालात इस कदर खराब कर दिए हैं कि शहर में फेफड़ों के संक्रमण से जुड़े मरीजों की संख्या बीस हजार से पार चली गई है। सरकारी अस्पतालों के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
न केवल फेफड़ों से जुड़े संक्रमण, बल्कि ब्लड प्रेशर तथा श्वांस से जुड़े अन्य मर्ज के ग्राफ में भी निरंतर इजाफा हो रहा है। शहर के आवासीय, कॉमर्शियल तथा इंडस्ट्रियल एरिया में विभिन्न ऋतुओं में वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रखने और इस दौरान अस्पतालों तक पहुंचने वाले मरीजों के डेटा का एनालिसिस करने के बाद डेजर्ट मेडिसीन रिसर्च सेंटर (डीएमआरसी) के वैज्ञानिकों के चौंकाने वाले नतीजों से भी किसी ने सबक नहीं लिया है। ताजा आंकड़े प्रदूषण स्तर की वैसी ही तस्वीर बयां कर रहे हैं, जो पिछले तीन साल से चल रही है। जोधपुर वायु प्रदूषण स्तर पर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के जनवरी 2010 के औसत आंकड़े यही इंगित कर रहे हैं कि शहर में प्रदूषण के स्तर में विशेष सुधार नहीं हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल शहर में केवल छह जगहों पर ही जांच कर रहा है, लेकिन अन्य रिसर्च संस्थाओं के आंकड़े भीतरी शहर में भी चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। कॉमर्शियल क्षेत्रों के लिए हाईअलर्ट होने की नौबत आ गई है। इसकी एक और वजह यह भी है कि शहर में केवल कटला बाजार तथा खांडा फलसा ही ऐसे इलाके हैं, जहां नाइट्रोजन ऑक्साइड का सालाना औसत 90 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच चुका हैं, जबकि इसकी स्वीकार्य सीमा 80 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर ही है। यही हाल दस माइक्रोन से ज्यादा प्रलंबित कण (एसपीएम) तथा दस माइक्रोन से छोटे प्रलंबित कण (आरएसपीएम) की मात्रा का भी है। एसपीएम का सालाना औसत कॉमर्शियल क्षेत्रों में ट्रैफिक प्रेशर के कारण तीन गुणा से भी ज्यादा यानी 416 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक है, जबकि इसकी स्वीकार्य सीमा 140 ही है। इसी तरह सालाना औसत में आरएसपीएम भी स्वीकार्य सीमा से 60 से ज्यादा 163 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पाया गया है। अंदाज लगाया जा सकता है कि इन क्षेत्रों में धूल-धुएं और वाहनों का दबाव किस हद तक होगा, जो दमघोंटू प्रदूषण का सबब बना हुआ है। एसपीएम के मामले में आवासीय क्षेत्रों की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है, यहां भी स्वीकार्य सीमा से दुगुना प्रदूषण हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है-जिस स्तर का वायु प्रदूषण यहां हो रहा है, उसे देखत हुए श्वसन विकार, फेफड़ों के कैंसर, नेत्र, स्नायु व ह्रïदय संबंधी विकारों की आशंका को निराधार नहीं ठहराया जा सकता। अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं कि फेफड़ों से जुड़े संक्रमण के मामलों की संख्या बीस हजार से ज्यादा हो गई है। ब्लड प्रेशर में यह इजाफा छह गुणा तक हुआ है। इस तरह के ट्रेंड को सामान्य तरीके से नहीं लिया जा सकता। उस स्थिति तो कतई नहीं, जब वायु प्रदूषण चरम स्थिति में हो।
कार्ययोजना पर ठोस अमल नहीं
जोधपुर को वायु प्रदूषण के लिहाज से देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यहां की आबोहवा की स्थिति सुधारने के लिए कार्ययोजना बनाकर अमल करने के आदेश दिए थे। कार्ययोजना बन तो गई है, लेकिन समन्वित योजना होने से इस पर ठोस अमल नहीं हो रहा। विधानसभा में हाल ही शहर विधायक कैलाश भंसाली ने इस मामले को उठाया था, जिस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री रामलाल जाट की जानकारी से आधे-अधूरे प्रयासों की पोल खुल गई है। इसके अनुसार जोधपुर शहर में वाहनों की क्वालिटी सुधारने के लिए भारत-थ्री, यूरो-फोर आदि नाम्र्स लागू किए जाने हैं। सरकार का कहना है कि यह अप्रैल 2010 से लागू किए जाएंगे, जबकि अब तक इसकी कोई योजना नहीं बन पाई है। इसी तरह यूरो-थर्ड और फोर फ्यूल के लिए भी अप्रैल तक की समयसीमा तय की गई है। एलपीजी फ्यूल की ज्यादा उपलब्धता नहीं होने के कारण भी डीजल के वाहन पूरी तरह से नहीं हटाए गए हैं।
ऐसी है मौजूदा स्थिति
एसपीएम कितना
निगरानी क्षेत्र मासिक औसत स्वीकार्य सीमा
महामंदिर(आवासीय) 412 140
सोजती गेट(वाणिज्यिक) 416 140
चौहाबो(आवासीय) 341 140
शास्त्रीनगर(आवासीय) 376 140
उद्योग केंद्र (औद्योगिक) 354 360
(जनवरी 2010 की स्थिति, इकाई-माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर)
आरएसपीएम कितना
निगरानी क्षेत्र मासिक औसत स्वीकार्य सीमा
महामंदिर(आवासीय) 166 60
सोजती गेट(वाणिज्यिक) 163 60
चौहाबो(आवासीय) 148 60
शास्त्रीनगर(आवासीय) 154 60
उद्योग केंद्र (औद्योगिक) 165 120
(जनवरी 2010 की स्थिति, इकाई-माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर)

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